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मुंबई/ गारमेण्ट में खुदरा बिक्री बढ़नी शुरू हो गई है। दीपावली बाद खुले बाजार में कारोबार धारणा से कम है। गारमेण्ट में ग्राहकी जैसी होनी चाहिए वैसी नहीं है। तथापि बाजार का सेंटीमेंट अच्छे कारोबार की उम्मीद से सकारात्मक है। रिटेलरों को ग्राहकी धीरे-धीरे सुधरने की उम्मीद है। गारमेण्ट कारखानों में कामकाज सुस्त है। श्रमिकों का अभाव है। मौसम करवट बदलने लगा है। हल्की सर्दी महसूस होने लगा है, इसलिए वैवाहिक सीजन के लिए फैंसी वेराइटी गारमेण्ट के साथ वूलन गारमेण्ट की मांग बढ़ने का इंतजार है। निर्यात पर अमेरिकी टैरिफ का विपरीत असर दिखाई दे रहा है। भारत के टेक्सटाइल, गारमेण्ट और मेडअप्स का निर्यात मई से सितम्बर अवधि में 37 प्रतिषत घटा है।
जीएसटी दरों में संशोधन करने के बाद गारमेण्ट में ग्राहकों का आधार व्यापक हो गया है। विषेशकर मिड-प्रीमियम सेगमेण्ट की बिक्री में जबरदस्त वृ(ि हो रही है। जब से जीएसटी की दरें कम हुई है, तब से 2500 रूपये की कीमत के गारमेण्ट की ओर ग्राहकों का रूख तेजी से बढ़ रहा है। संगठित क्षेत्र के वस्त्रों की बिक्री में प्रीमियम सेगमेंट का हिस्सा 35 प्रतिशत है। त्योहारों एवं वैवाहिक सीजन जैसे अवसरों पर प्रीमियम गारमेण्ट की मांग अधिक होती है। परंतु इसमें जीएसटी की बढ़ी दरें रूकावट बन रही है, वहीं वैल्यू गारमेण्ट और मिड प्रीमियम सेगमेंट के बीच तीव्र प्रतिस्पर्धा होने और इस पर मार्केटिग खर्च अधिक होने पर भी इस खंड की मार्जिन में अच्छी वृ(ि होने का अनुमान लगाया गया है।
वर्श 2024-25 में भारत से टेक्सटाइल एवं एपेरल का निर्यात 37.7 अरब डॉलर था, इसमें से अकेले अमेरिका निर्यात 28.97 प्रतिशत था, अमेरिका भारत के लिए एक बड़ा बाजार था। लेकिन डोनाल्ड ट्रम्प की सरकार ने अगस्त महीने में भारत पर 50 प्रतिशत टैरिफ लाद दिया। गारमेण्ट के निर्यात में आई गिरावट पर नजर डाले तो निटेड एपेरल का निर्यात 39 प्रतिशत, वूवन एपेरल का 50 प्रतिशत और गर्ल्स सूट्स के निर्यात में 66 प्रतिशत की गिरावट चौंकाने वाली है। गारमेण्ट का निर्यात घटने के कारण गारमेण्ट इकाइयों में उत्पादन धीमा चल रहा है। कमजोर निर्यात का असर गारमेण्ट कपड़ों पर पड़ रहा है, साथ ही गारमेण्ट की कीमतों में प्रतिस्पर्धा पहले से अधिक तगड़ी हो गई है।
तेजी से बदलते फैषन के मौजूदा दौर में ग्राहक कपड़ों की कीमतों को लेकर अधिक संवेदनशील होते जा रहे है। ग्राहक बहुत सोच समझकर कपड़ों की खरीदी करना चाहते हैं। मध्यम वर्ग के ग्राहकों के हाथ में अब खर्च करने के लिए अधिक पैसे है। आमतौर पर त्योहारों एवं लग्न के अवसरों पर लोगों का झुकाव प्रीमियम सेगमेंट गारमेण्ट खरीदने की होती है, लेकिन इस सेगमेंट की जीएसटी बढ़ गई है, जिससे इसकी बिक्री पर थोड़ी आंच आती दिखाई दे रही है। जानकारों का कहना है कि अब अधिकतर ग्राहक जो पहले इस सेगमेण्ट को ही खरीदते थे, परंतु समान स्टाइल और गुणवत्ता हो तथा भाव अपेक्षाकृत कम हो और जीएसटी पांच प्रतिशत लग रही है, ऐसे गारमेण्ट खरीदना चाहते हैं।
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