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लागत प्रतिस्पर्धा पर दबाव बढ़ा
ढाका/ दक्षिण एशिया के प्रमुख वस्त्र निर्यातक देशों में शामिल बांग्लादेश के टेक्सटाइल उद्योग को इस समय गंभीर चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। भारत से सस्ते यार्न ;सूती धागेद्ध की बढ़ती आपूर्ति ने बांग्लादेशी निर्माताओं की लागत प्रतिस्पर्धा को कमजोर कर दिया है।
एक रिपोर्ट के अनुसार, हाल के महीनों में भारत से कम कीमत पर यार्न के बड़े पैमाने पर आयात ने बांग्लादेश के स्थानीय सूत उत्पादकों और फैब्रिक निर्माताओं की मुनाफाखोरी पर नकारात्मक असर डाला है।
विश्लेषकों का कहना है कि भारत में कपास और यार्न उत्पादन लागत अपेक्षाकृत कम होने के कारण वहां की मिलें निर्यात बाजार में अधिक आक्रामक मूल्य पेश कर पा रही हैं। इसके परिणामस्वरूप, बांग्लादेश की कई स्पिनिंग यूनिट्स को उत्पादन घटाने या अस्थायी रूप से बंद करने तक की नौबत आ गई है।
रिपोर्ट बताती है कि कुछ सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों ने वित्त वर्ष-25 में वार्षिक स्तर पर बेहतर प्रदर्शन दिखाया, परंतु अप्रैल से जून तिमाही में अधिकांश कंपनियों का उत्पादन और लाभ घटा है। इस गिरावट का कारण आयातित यार्न से बढ़ी बाजार प्रतिस्पर्धा, स्थानीय मुद्रा अवमूल्यन और कच्चे माल की कीमतों में अस्थिरता बताया जा रहा है।
बांग्लादेश टेक्सटाइल मिल्स एसोसिएशन ने सरकार से मांग की है कि देश के स्थानीय यार्न उत्पादकों को राहत देने के लिए आयात शुल्क और एंटी-डम्पिंग उपाय लागू किए जाएँ। वहीं, निर्यात उन्मुख गारमेण्ट निर्माता मानते हैं कि सस्ते भारतीय यार्न से उनकी उत्पादन लागत कुछ हद तक घट रही है, जिससे निर्यात मूल्य प्रतिस्पर्धी बन रहा है।
उद्योग विशेषज्ञों का कहना है कि यह स्थिति दक्षिण एशिया के यार्न और फैब्रिक बाजार में तीव्र क्षेत्रीय प्रतिस्पर्धा को दर्शाती है। बांग्लादेश को अपने उत्पादन ढाँचे, मूल्य-संरचना और सप्लाई-चेन रणनीति पर पुनर्विचार करने की आवश्यकता है, ताकि वह वैश्विक बाजार में अपनी मजबूत स्थिति बनाए रख सके।
भारत से सस्ते यार्न की बाढ़ ने बांग्लादेश की टेक्सटाइल इंडस्ट्री के लिए एक चेतावनी संकेत दिया है जो यह बताता है कि वैश्विक वस्त्र व्यापार में लागत और स्रोत दोनों पर पुनर्संतुलन का दौर शुरू हो चुका है।
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24-11-2025
