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एक्स्ट़ªा लॉन्ग स्टेपल और लॉन्ग स्टेपल रूई की खपत बढ़ने का अनुमान   
By Textile Mirror - 24-11-2025

मुंबई/ हाजिर बाजार में रूई की मांग नहीं बढ़ रही है। बेमौसमी बारिश के कारण आ रही नई कपास में नमी प्रमाण से अधिक है। नमी के कारण जिनिंग इकाइयों में रूई ग्रेड को नुकसान हो रहा है। ऐसी रूई से मिलों को कॉटन यार्न की प्राप्ति कम होती है, इसलिए मिलों की खरीदी घटी है। मिलों के पास आयातित स्टॉक होने से नई खरीदी में जल्दबाजी नहीं है। हाजिर में गुजरात संकर 6 रूई का भाव प्रति खंडी 52000 से 53000 रूपये के बीच है। स्थानीय और अंतरराष्ट्रीय बाजार में रूई के भाव कम हो गए है। कमजोर वैश्विक मांग के साथ ब्राजील और चीन जैसे देशों में रूई का उत्पादन अधिक होने से इंटरनेशनल मार्केट में रूई के भाव सबसे निचले स्तर पर पहुंच गए है। 
कॉटन कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया के अनुसार 2025-26 सीजन में रूई का उत्पादन 170 किलो की एक गांठ इस तरह कुल 300 लाख गांठ होने का अनुमान है। इसके पीछे का कारण कपास उगाने वाले कुछ क्षेत्रों में बारिश अधिक होने से कपास को नुकसान होने से उत्पादन कम हो सकता है। इनमें से गुजरात, महाराष्ट्र, पंजाब और तेलंगाना में अधिक बारिश होने के कारण करीब 10 से 15 लाख गांठ का नुकसान हो सकता है। वर्ष 2024-25 में कपास की बुवाई का क्षेत्रफल पूर्व सीजन के 120 लाख हेक्टेयर की तुलना में घटकर 112 लाख हेक्टेयर है। स्थानीय और इंटरनेशनल मार्केट में रूई के भाव कम होने के कारण हाजिर बाजार में दबाव है, परंतु भाव अधिक घटने की उम्मीद नहीं है।  
देष में एक्स्ट्रा लॉन्ग स्टेपल और लॉन्ग स्टेपल रूई की खपत बढ़ने का अनुमान है। 2024-25 सीजन में भारत में रूई का आयात और उपयोग पैटर्न में उल्लेखनीय वृ(ि हुई है। हकीकत में न्यूनतम समर्थन मूल्य और बाजार भाव के बीच अंतर है। कॉटन कॉर्पोरशन ऑफ इंडिया के अनुसार पिछले कुछ वर्षों से रूई के भाव कम है। इस वर्ष भी भाव कम मिलने का अनुमान है। आंकड़ों से पता चलता है कि 2024-25 में भाव घटकर प्रति खंडी अर्थात 356 किलो का 53000 हो गया जो 2023-24 में 58000 रूपये और 2022-23 में 62000 रूपये तक था। दूसरी ओर न्यूनतम समर्थन मूल्य हर वर्ष बढ़ रहा है, इससे कॉर्पोरेशन का कपास खरीदी खर्च बिक्री कीमत की तुलना में अधिक है। 
बाजार विश्लेशकों का कहना है कि आसमान साफ होेने के साथ कपास की आवक बढ़नी शुरू हो जाएगी। सीसीआई की ओर से खरीदी के लिए सभी तैयारियां की जा चुकी है परंतु सेंटरों पर कब से खरीदी शुरू की जानी है, इसकी कोई अधिकृत जानकारी नहीं है। परंतु ऐसा माना जा रहा है कि जैसे ही बाजार में सूखा कपास आना शुरू हो जाएगा वैसे ही किसानों से कपास की खरीदी में तेजी आ सकती है। आनन-फानन में कम भाव पर माल बेचने के लिए किसानों पर अधिक दबाव नहीं बने इससे पहले ही हर हालत में सीसीआई को किसानों से खरीदी करनी है। इसके लिए पंजीयन का कार्य पहले ही शुरू कर दिया है। हाल रूई बाजार में कोई मजबूत करेंट नहीं दिखाई देता है। 
 

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